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सीड सिनेरारीया हंसा

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अपने बगीचे को सिनेरेरिया हंसा की चमकदार आकर्षण के साथ जीवंत करें—एक सर्दियों में खिलने वाला पसंदीदा जो अपने जीवंत, डेज़ी जैसे फूलों के लिए जाना जाता है जो नीले, बैंगनी, मैजेंटा, गुलाबी और सफेद के आकर्षक रंगों में होते हैं।

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    भारत में बीजों से सिनेरारीया 'हंसा' उगाना आपके सर्दियों के बगीचे को रोशन करने का एक शानदार तरीका है! ये पौधे नीले, बैंगनी, मैजेंटा और सफेद रंग के जीवंत रंगों में शानदार डेज़ी जैसे फूल पैदा करते हैं, और वे गमलों, सीमाओं या छायादार बगीचे के कोनों के लिए आदर्श हैं। यहां उन फूलों को उगाने में आपकी सहायता के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका दी गई है:

    सिनेरारीया हंसा उगाने का सबसे अच्छा समय

    • उत्तर भारत: सितंबर से नवंबर
    • दक्षिण भारत: अक्टूबर से दिसंबर सिनेरारीया को ठंडा मौसम पसंद है (आदर्श तापमान: 15–22°C), जो उन्हें भारत के सर्दियों के मौसम के लिए एकदम सही बनाता है।

    मिट्टी और स्थान

    • सूरज की रोशनी: आंशिक छाया सबसे अच्छी है। दोपहर की तेज धूप से बचें।
    • मिट्टी का प्रकार: हल्की, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी, खाद और कोकोपीट के साथ मिश्रित।
    • गमले या जमीन: कम से कम 8–10 इंच गहरी और चौड़ी।

    बीज बोना

    • सीडलिंग ट्रे या गमले में मिट्टी भरें। बीजों को ऊपर छिड़कें और उन्हें मिट्टी में हल्का दबा दें।

    • उन्हें ज़्यादा गहरा न दबाएँ—ऊपर मिट्टी की एक पतली परत ही काफ़ी है।

    • मिट्टी पर हल्के से पानी छिड़कें।

    अंकुरण और पौधों की देखभाल

      नमी बनाए रखने के लिए ट्रे को साफ़ प्लास्टिक के ढक्कन या क्लिंग रैप से ढक दें।
      इनडायरेक्ट लाइट में रखें (पूरी धूप में नहीं)।
      मिट्टी की नमी बनाए रखें—इसे सूखने न दें।
      अंकुरण का समय: 10–14 दिन
      जब पौधों में असली पत्तियों के 2–3 सेट आ जाएँ, तो उन्हें अलग-अलग गमलों या गार्डन बेड में ट्रांसप्लांट करें।
      दूरी: 6–8 इंच
      ट्रांसप्लांटिंग के लिए थोड़ी छाया वाली जगह चुनें।

    देखभाल और रखरखाव


    • पानी देना: पानी तभी दें जब मिट्टी का ऊपरी इंच सूखा लगे।
    • फर्टिलाइज़र: हर 2–3 हफ़्ते में बैलेंस्ड लिक्विड फर्टिलाइज़र डालें।
    • पिंचिंग: छोटे पौधों के ऊपर से पिंच करके उन्हें झाड़ीदार बना लें।

    कीड़े और बीमारी से बचाव

    • कीड़े: एफिड्स और व्हाइटफ्लाई से सावधान रहें—ज़रूरत हो तो नीम के तेल का स्प्रे करें।
    • फंगल की समस्या: ज़्यादा पानी न डालें; हवा का अच्छा आना-जाना ज़रूरी है।

    खिलना और देखभाल

    • फूल बोने के 3–4 महीने बाद आते हैं।
    • वे सर्दियों के आखिर से लेकर बसंत की शुरुआत तक खूब खिलते हैं।
    • फूलों को लगातार खिलने के लिए मुरझाए हुए फूलों को हटा दें।